एक पग



प्रतिबिम्ब बस वही करे जो मैं चाहू
मगर रौशनी से लोभित साया मेरी बात ना माने, भले ही मैं खून बहाऊ,
कभी स्वर्ग को छुलू
कभी नरक मैं उतर जाऊ,
चाहे जितना सतर्क रहू
अपने साए पर ना काबू पाऊ.

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